30+ Best Famous Shayari of Dr. Rahat Indori | राहत इंदौरी की मशहूर शायरी

Rahat Indori Shayari In Hindi : आपके लिए आज हम लेकर आये है Rahat Indori Ki Shayari हिंदी में बहुत ही झकास Rahat Indori shayari in Hindi 2021.

Rahat Indori shayari

अब न मैं हु , ना बाकि हैं ज़माने मेरे,

फिर भी महशूर है शहरो में फ़साने मेरे,

जिंदगी हैं तो नए ज़ख्म भी लग जायेंगे,

अब भी बाकि हैं कई दोस्त पुराने मेरे।

लू भी चलती थी तो बादे -शावा कहते थे,

पांव फैलाये अंधेरो को दिया कहते थे,

उनका अंजाम तुझे याद नहीं है शायद

और भी लोग थे जो खुद को खुदा कहते थे।

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चेहरों के लिए आईने कुर्बान किये हैं,

इस शौक में अपने बड़े नुकसान किये हैं,

महफ़िल में मुझे गालियाँ देकर है बहुत खुश,

जिस शख्स पर मैंने बड़े एहसान किये है।

अजनबी ख़्वाहिशें सीने में दबा भी न सकूँ,

ऐसे ज़िद्दी हैं परिंदे कि उड़ा भी न सकूँ,

फूँक डालूँगा किसी रोज़ मैं दिल की दुनिया,

ये तेरा ख़त तो नहीं है कि जला भी न सकूँ।

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उसे अब के वफ़ाओं से गुजर जाने की जल्दी थी,

मगर इस बार मुझ को अपने घर जाने की जल्दी थी,

मैं आखिर कौन सा मौसम तुम्हारे नाम कर देता,

यहाँ हर एक मौसम को गुजर जाने की जल्दी थी।

मैंने दिल दे कर उसे की थी वफ़ा की इबादत की

उसने धोखा दे के ये किस्सा मुकम्मल कर दिया

शहर में चर्चा है आख़िर ऐसी लड़की कौन है

जिसने अच्छे खासे एक शायर को पागल कर दिया।

Rahat indori ki shayari

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बुलाती है मगर जाने का नहीं,

ये दुनिया है इधर जाने का नहीं,

मेरे बेटे किसी से इश्क़ कर,

मगर हद से गुज़र जाने का नहीं

ज़मीं भी सर पे रखनी हो तो रखो,

चले हो तो ठहर जाने का नहीं,

सितारे नोच कर ले जाऊंगा,

मैं खाली हाथ घर जाने का नहीं

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आते जाते है कई रंग मेरे चेहरे पर,

लोग लेते है मज़ा जिक्र तुम्हारा करके,

मुन्तज़िर हूँ कि सितारों की ज़रा आँख लगे,

चाँद को छत पे बुला लूँगा इशारा करके

हम अपनी जान के दुश्मन को अपनी जान कहते हैं,

मोहब्बत की इसी मिट्टी को हिन्दुस्तान कहते हैं,

जो दुनिया में सुनाई दे उसे कहते है ख़ामोशी ,

जो आँखों में दिखाई दे उसे तूफान कहते है

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हमारे मुह से जो निकले वही सदाकत है,

हमरे मुह में तुम्हारी जबान थोड़ी है |

मै जानता हूँ कि दुश्मन भी कम नहीं है,

लेकिन हमारी तरह हथेली पे जान थोड़ी है |

अँधेरे चारों तरफ़ सायं-सायं करने लगे,

चिराग़ हाथ उठाकर दुआएँ करने लगे,

तरक़्क़ी कर गए बीमारियों के सौदागर,

ये सब मरीज़ हैं जो अब दवाएँ करने लगे

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झूठे क़सीदे लिखे गये उस की शान में,

जो मोतीयों से छीन के सच्चाई ले गया|

यादों की एक भीड़ मेरे साथ छोड़ कर,

क्या जाने वो कहाँ मेरी तन्हाई ले गया|

हसीन लगते हैं जाड़ों में सुबह के मंज़र

सितारे धूप पहनकर निकलने लगते हैं

बुरे दिनों से बचाना मुझे मेरे मौला

क़रीबी दोस्त भी बचकर निकलने लगते हैं

Famous Shayari Of Rahat Indori

बुलन्दियों का तसव्वुर भी ख़ूब होता है

कभी कभी तो मेरे पर निकलने लगते हैं

अगर ख़्याल भी आए कि तुझको ख़त लिक्खूँ

तो घोंसलों से कबूतर निकलने लगते हैं

इश्क में जीत के आने के लिए काफी हूँ

मैं निहत्था ही ज़माने  के लिए काफी हूँ

हर हकीकत को मेरी, ख्वाब समझनेवाले

मैं तेरी नींद उड़ाने के लिए काफी हूँ

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गम सलामत हैं तो पीते ही रहेंगे लेकिन

पहले मयखाने की हालत संभाली जाए

खाली वक्तों में कहीं बैठ के रोलें यारों

फुरसतें हैं तो समंदर ही खंगाले जाए

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फैसला जो कुछ भी हो, हमें मंजूर होना चाहिए,

जंग हो या इश्क हो, भरपूर होना चाहिए।

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शहर क्या देखें कि हर मंज़र में जाले पड़ गए

ऐसी गर्मी है कि पीले फूल काले पड़ गए

तेरी परछाई मेरे घर से नहीं जाती है

तू कहीं हो, मेरे अंदर से नहीं जाती है

एक मुलाक़ात का जादू के उतरता नहीं

तेरी खुशबू मेरे चादर से नहीं जाती है

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बहुत ग़ुरूर है दरिया को अपने होने पर

जो मेरी प्यास से उलझे तो धज्जियाँ उड़ जाएँ

उस की याद आई है साँसो ज़रा आहिस्ता चलो

धड़कनों से भी इबादत में ख़लल पड़ता है

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चेहरों के लिए आईने कुर्बान किये हैं,

इस शौक में अपने बड़े नुकसान किये हैं,

​महफ़िल में मुझे गालियाँ देकर है बहुत खुश​,

जिस शख्स पर मैंने बड़े एहसान किये है।

तेरी हर बात मोहब्बत में गँवारा करके,

दिल के बाज़ार में बैठे हैं खसारा करके,

मैं वो दरिया हूँ कि हर बूंद भंवर है जिसकी,

तुमने अच्छा ही किया मुझसे किनारा करके।

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शाखों से टूट जाए वो पत्ते नहीं है हम

आँधी से कोई कह दे के औकात में रहे।

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अजनबी ख़्वाहिशें , सीने में दबा भी न सकूँ

ऐसे ज़िद्दी हैं परिंदे , कि उड़ा भी न सकूँ

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रोज़ पत्थर की हिमायत में ग़ज़ल लिखते

हैंरोज़ शीशों से कोई काम निकल पड़ता है

सुनपगली  तेरा दिल भी धड़केगा… तेरी आँख  भी फड़केगी..

अपनी ऐसी ‪आदत डालूँगा …के हर पल ‪‎मुझसे मिलने के लिये ‪तड़पेगी…!!

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उसे अब के वफ़ाओं से गुजर जाने की जल्दी थी,

मगर इस बार मुझ को अपने घर जाने की जल्दी थी,

मैं आखिर कौन सा मौसम तुम्हारे नाम कर देता,

यहाँ हर एक मौसम को गुजर जाने की जल्दी थी।

ख़याल था कि ये पथराव रोक दें चल कर

जो होश आया तो देखा लहू लहू हम थे

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मैंने अपनी खुश्क आँखों से लहू छलका दिया,

इक समंदर कह रहा था मुझको पानी चाहिए।

सूरज से जंग जीतने निकले थे बेवकूफ,

सारे सिपाही मोम के थे घुल के आ गए।

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जवानिओं में जवानी को धुल करते हैं

जो लोग भूल नहीं करते, भूल करते हैं

अपनी पहचान मिटाने को कहा जाता है

बस्तियां छोड़ के जाने को कहा जाता है

पत्तियां रोज गिरा जाती हैं जहरीली हवा

और हमें पेड़ लगाने को कहा जाता है

Rahat Indori sad shayari

कभी महक की तरह हम गुलों से उड़ते  हैं

कभी धुएं की तरह पर्वतों से उड़ते हैं

ये केचियाँ हमें उड़ने से खाक रोकेंगी

की हम परों से नहीं हौसलों से उड़ते हैं

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दो मुलाकात क्या हुई हमारी तुम्हारी,

निगरानी में सारा शहर लग गया।

Rahat Indori shayari

मैं रात की आखिरी पहर में

जब आप की नात लिख रहा था

लगा के अल्फाज जी उठे हैं,

लगा के कागज धड़क रहा है

राज़ जो कुछ हो इशारों में बता भी देना

हाथ जब उससे मिलाना तो दबा भी देना

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